EDITOR: Pt. S.K. Bhardwaj

जॉच रिपोर्ट को दबाने सरकार ने बिठाया पहरा-  ईएनसी अंधवान का मुंह किया बंद, 

जॉच रिपोर्ट को दबाने सरकार ने बिठाया पहरा-  ईएनसी अंधवान का मुंह किया बंद, 

  • July 25, 2025

 मंत्री संपतिया उइके पर लगा है1000 करोड़ कमीशन का आरोप !

 भोपाल। गत माह जून 2025 में मध्यप्रदेश की पीएचई विभाग की मंत्री संपतिया उईके पर 1000 करोड़ रुपए कमीशन लेने के आरोप लगे हैं। ज्ञात हो कि संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व विधायक किशोर समरीते ने प्रदेश की स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मंत्री संपतिया उइके पर एक हजार करोड़ रुपये का कमीशन लेने का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजी थी। वहां से कार्यवाही के लिए इसे आगे बढ़ा दिया गया। इस पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने अपने ही विभाग की मंत्री के खिलाफ 21 जून 2025 को जांच बैठा दी है। प्रमुख अभियंता (ईएनसी) संजय अंधवान ने जांच के आदेश प्रधानमंत्री से की गई शिकायत और केंद्र की ओर से मांगी गई रिपोर्ट के बाद दिए थे।
प्रमुख अभियंता कार्यालय ने सभी मुख्य अभियंता पीएचई और परियोजना निदेशक मप्र जल निगम को इस मामले में चि_ी लिखकर सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा था। निर्देश में कहा गया था कि भारत सरकार ने राज्य के जल जीवन मिशन को दिए 30 हजार करोड़ के खर्च की जांच की जाए। साथ ही पीएचई मंत्री संपतिया उईके और उनके लिए पैसा जमा करने वाले मंडला के कार्यपालन यंत्री की संपत्तियों की जांच के निर्देश दिए गए थे। 
 इसके बाद मंत्रालय में मानो भूचाल सा आ गया था  मामले ने तूल पकड़ा तो प्रमुख अभियंता ने अपनी पद प्रतिष्ठा और कार्यवाही के भय से यू-टर्न लेते हुए आरोपों को तथ्यहीन व मनगढ़ंत बता दिया था, तो वहीं मुख्यमंत्री द्वारा जांच कराने को गंभीरता से लेने के बाद  शासन ने प्रमुख अभियंता को जांच का आदेश करने के लिए नोटिस जारी करके जवाब तलब किया था। उनसे पूछा था कि कैसे उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढक़र जांच कराने का निर्णय ले लिया। नियमानुसार प्रमुख अभियंता को जांच कराने के लिए शासन स्तर पर इसे भेजे जाने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने सभी मुख्य अभियंता और जल निगम के परियोजना निदेशक को निर्देश देकर शिकायत पर सात दिन में जांच प्रतिवेदन मांग लिया। मामले ने तूल पकड़ा तो आरोपों पर मंत्री ने जवाब दिया कि मैं बिल्कुल सही हूं, सांच को आंच नहीं। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने शिकायत पर मंत्री की जांच के लिए आदेश देने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कैबिनेट बैठक के बाद मंत्रियों और मुख्य सचिव अनुराग जैन के साथ अनौपचारिक चर्चा में कहा था कि क्या अधिकारी किसी की भी शिकायत पर ऐसी ही जांच करा देंगे। 
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट बैठक के बाद हुई अनौपचारिक बैठक में यह मामला उठा था। मुख्यमंत्री ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यदि कोई शिकायत आई थी तो पहले बताया जाना चाहिए था। मंत्रियों ने भी इस बात का समर्थन किया।इस मामले में प्रमुख अभियंता संजय कुमार अंधवान को उच्च स्तर से अनुमोदन लिए बिना जांच के लिए आदेश देने पर शासन द्वारा नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था। जांच के आदेश के बाद प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने दबाव में आकर कहा कि मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ की गई शिकायत निराधार है। उन्होंने मध्य प्रदेश के बालाघाट के कार्यपालन यंत्री की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता किशोर समरीते की ओर से कोई भी सबूत नहीं दिया गया। केवल सूचना के अधिकार के तहत विभागीय अधिकारी की ओर से भेजे गए पत्र को ही आधार बनाया गया। जबकि यह कथन निराधार थे।
अंधवान ने कहा था कि बालाघाट संभाग के कार्यपालन यंत्री ने किशोर समरीते को यह जानकारी दी थी कि किसी 

भी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है।
प्रमुख अभियंता पीएचई अंधवान के बयान के बाद शिकायतकर्ता किशोर समरीते ने कहा था कि सिर्फ बालाघाट में 
मिशन की कार्यप्रणाली को लेकर जवाब दिया गया है। प्रदेश भर में गड़बड़ी की जांच के लिए खुद ईएनसी ने सभी चीफ इंजीनियरों को चिट्ठी लिखी है। उन्होने कहा था कि  इस मामले में वे कोर्ट में याचिका लगाने जा रहे हैं और सरकार से इस पर जवाब लेंगे।
समरीते ने प्रधानमंत्री के नाम 12 अप्रैल 2025 को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि एमपी में जल जीवन मिशन के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिए गए 30 हजार करोड़ में मंत्री संपतिया उइके ने एक हजार करोड़  रुपए कमीशन लिया है। शिकायत में पूर्व ईएनसी बीके सोनगरिया पर भी आरोप लगाया है उन्होंने अपने अकाउंटेंट महेंद्र खरे के जरिए कमीशन लिया है। यह राशि 2000 करोड़ है।
समरीते ने आरोप पत्र में कहा है कि पीआईयू, जल निगम के डायरेक्टर जनरल और इंजीनियरों ने एक-एक हजार करोड़ का कमीशन लिया है। बैतूल के कार्यपालन यंत्री ने 150 करोड़ रुपए बिना काम कराए ही शासन के खाते से निकाल लिए हैं।
उन्होंने यह भी कहा था कि छिंदवाड़ा और बालाघाट का भी यही हाल है। मुख्य अभियंता मैकेनिकल द्वारा 2200 टेंडरों पर काम नहीं कराया गया और राशि निकाल ली गई। समरीते ने आरोप लगाया था कि सात हजार काम पूरे होने के फर्जी प्रमाण पत्र भी एमपी से केंद्र सरकार को भेजे गए हैं, जिसकी सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। यह घोटाला देश के बड़े घोटालों में निकलकर आएगा।
समरीते ने कहा था कि प्रधानमंत्री से शिकायत की थी जिसके बाद जांच के निर्देश जारी हुए थे। उन्होंने मंत्री संपतिया उईके पर कार्यपालन यंत्रियों के जरिए कमीशन लेने की बात कही है।
इसके लिए राजगढ़ में पदस्थ रहे कार्यपालन यंत्री जो अब बैतूल आ गए हैं, उन्हें और मंडला के कार्यपालन यंत्री को मंत्री के लिए वसूली करने वाला अधिकरी बताया था।
प्रमुखअभियंता  संजय अंधवान बोले रिपोर्ट तो आ गई है परन्तु मैं आपको क्यू बताऊॅ प्रमुख अभियंता संजय अंधवान से बात की तो उन्होने से रिपोर्ट के बारे में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा है कि वे इस मामले कुछ नहीं कहेंगेैं। वहीं पीएचई मंत्री संपतिया उईके से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, पर उनसे बात नहीं हो पाई। वहीं पीएचई मंत्री संपतिया उईके के ओएसडी श्री विजय सिंह ने स्पष्ट कहा कि प्रमुखअभियंता से बात करें। 
इस पूरे एक माह के घटनाक्रम में एक बात स्पष्ट हुई है कि  रिपोर्ट आ गई है। अब कानून के उल्लंघन की बात करें अथवा आरोप प्रत्यारोप की बात हो इसमें एक बात तो स्पष्ट है कि मंत्री के ऊपर लगे आरोप में कहीं ना कहीं दम नजर आ रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो पीएचई के प्रमुख अभियंता अपने कार्यालय के अधीन मुख्य अभियंता अधीक्षण यंत्री सहित सभी अधिकारियों को मीडिया वालों से बात न करने की हिदायत नहीं देते। इस विषय में कुछ भी गलत नहीं होता तो मुख्यमंत्री सहित पूरा मंत्रिमंडल बढ़-चढक़र मीडिया के सामने पिल पड़ा होता तथा कैमरों के सामने पूरा भाजपा दल खूब चिल्लाता कि जांच में कुछ नहीं मिला और इससे आगे जाकर मध्य प्रदेश का जनसंपर्क विभाग करोड़ों रुपए के विज्ञापन अपनी मुख्यमंत्री की सागफोई में छपवा चुका होता परंतु ऐसा  कुछ भी नजर नहीं आया,बल्कि इसके विपरीत जॉच के विषय में चर्चा करने को भी कोई तैयार नहीं है, तो इसमें संदेह नहीं है कि पीएचई मंत्री संपत्तिया उईके कहीं न कहीं 1000 करेाड़ के कमीशन मेंं दागदार हैं और मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के सदस्य उन्हें बचाने का बलात प्रयास  कर रहे हैं । तो वहीं जांच कराने वाले ईएनसी संजय अंधवन को एक तरह से अघोषित बंधक बना दिया है ताकि वह न किसी के सामने बोल सके न कुछ खुलासा कर सके। अब यह तो सरकार और विभाग की नीयत पर निर्भर है कि वह जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं दाग में दम नहीं  है या सभी दागदार अच्छे है।