
भारत सरकार के इस मिशन में काम उतना ही होता है जितने सोशल मीडिया पर नेताओं के फोटो और अधिकारियों की जेब का बैलेंस बना रहे
वर्ष 2014 से निरंतर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए बहुत ही अच्छी योजना लागू की है जिसका नाम है स्वच्छत भारत मिशन यह मिशन देश के हर नागरिक के लिए अनुकरणीय रहा है और इसे पूरे देश ने दिल से सराहा है और इसे एक आदर्श संस्कृति के रूप में स्थापित किया है। भारत सरकार ने देश के हर राज्य को इस मिशन के लिए धनराशि भी है और इसके क्रियान्वयन की रूपरेखा भी बताई है।
योजना लागू होने के प्रारंभ में काम तो हुए परंतु जैसा कि हमेशा आदतन होता आया है भारत सरकार के इस मिशन में काम उतना ही होता है जितने सोशल मीडिया पर नेताओं के फोटो और अधिकारियों की जेब का बैलेंस बना रहे अभी हाल के दिनों में देश भर में जिस तरह से रैंकिंग के लिए माथा पच्ची की गई है और जिस तरह से अंक दिए गए हैं वह केवल सूचना निदेशालय द्वारा प्रायोजित समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के माध्यम से की गई ब्रांडिंग का ही प्रतिफल है। वास्तविकता यह है कि भोपाल शहर हो या इंदौर शहर वीआईपी मूवमेंट की जगह पर रोड चकाचक मिलती है और अंदर गलियों में जाने के बाद गंदगी भरी सड़के ,कीचड़ भरी नालियाँ, आवारा पशु, जानवर,सब कुछ मिलेगा इसका मुख्य कारण है कि जितने कर्मचारियों का वेतन निकला जाता है उसमें से 75% वेतन फर्जी कर्मचारियों का दिया जाता है 25% कर्मचारी ही 12 से 15 घंटे प्रतिदिन काम करते हैं और उनके कंधों पर शहर की सफाई का इतना दबाव होता है कि वह पूरे शहर का कचरा नहीं उठा सकते ,ना ही वह 24 घंटे सेवा कर सकते हैं स्थानीय सरकार के भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी और मंत्री संयुक्त रूप से जिम्मेदार है परंतु विडंबना है कि सरकारी सूचना निदेशालय अनुसार समाचार यह प्रकाशन कराया जा रहा है।
सफाई व्यवस्थापन का स्तर इतना घटिया है कि व्यवस्था देखने और क्रियान्वन करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी दो बड़े अधिकारी हैं एक नगर निगम भोपाल कमिश्नर दूसरे भोपाल जिला कलेक्टर। कलेक्टर ऑफिस के बाहर हो अथवा उनके ऑफिस से लगा हुआ एस डी एम का कार्यालय सभी जगह पर गंदगी भरपूर मिलेगी कचरे का अंबार मिलेगा लोगो को लघुशंका तक को स्थान नहीं है।न ही नागरिकों के लिए कोई बैठक का स्थान है तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम भोपाल के स्मार्ट सिटी क्षेत्र के स्थित ऑफिस माता मंदिर पर गंदगी इस कदर है कि देखने वाले भी शर्मसार हो जाए । दीवारें पंखुड़ी का थूकने वालों के थूक से लाल है ,कचरे का देर है यह दफ्तर के अंदर नजारा है ।
इसी प्रकार पूरे रहवासी क्षेत्र में जहां 2 साल पहले जगह-जगह डस्टबिन रखे मिलते थे वह डेढ़ साल पूर्व हुए नगरी निकाय चुनाव के बाद रातों रात गायब हो गए हैं । परन्तु रैंकिंग में भोपाल नंबर दो पर आ गया है । गजब का आकलन है ,गजब की तकनीक है ,जबरदस्त सेटिंग है मुख्यमंत्री रैंकिंग के बारे में जगह-जगह उद्घोष कर रहे हैं उनके अधीन जनसंपर्क विभाग मीडिया में सशुल्क खबरे चलवाकर तारीफों के पुल बांध रहा है तो वही इंदौरी भाई के नाम से मशहूर विभाग के मंत्री इंदौर के पास पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नकल करते हुए वृक्ष लगाकर रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं परंतु वह रोना रो रहे हैं वे वन विभाग के अधिकारियों से सहयोग न मिलने का आरोप लगा रहे हैं परन्तु अपने विभाग की तरफ देखते भी नहीं है यह उनके लिए शर्म की बात है या भय की बात है अथवा कुछ अंदर की बात है यह तो वही जानते हैं