
मध्य प्रदेश सरकार के 20 साल जनता हाल-बेहाल
भोपाल विकास की कानूनी गारंटी का प्रचार सौ प्रतिशत परन्तु परिणाम जीरो प्रतिशत
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मादक पदाथों,अवैध हथियारों का कारोबार प्रशासनिक अपराधियों का भरपूर खेल
भोपाल / 1995 में लागू मास्टर प्लान 2005 की लकीरों के सहारे विकास का दंभ भरने वाली सरकार जो राजधानी के भोपाल नगर विकास का मास्टर प्लान 20 साल में भी नहीं बना पायी, बड़े तालाब का प्रशासनिक अपराधियों के संरक्षण में अतिक्रमण करा दिया,राजधानी भोपाल में बड़ा तालाब रहवासियों को विरासत में मिला है जिस पर प्रशासनिक अपराधी तंत्र के सहयोग से बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर कब्जा हो चुका है । पेय जल की सप्लाई भी गुणवत्ताविहीन होती है यहां तक कि बड़े तालाब में गंदे नालों का दूषित पानी तक बंद नहीं किया गया है परन्तु शुद्धिकरण में व्यय के नाम पर हजारों करोड़ की राशि व्यय की जा चुकी हैं। जिसकी भरपाई आम जनता टैक्स चुका कर भुगत रही है।
स्मार्ट सिटी और सड़क नाली निर्माण,पानी बिजली सप्लाई के नाम पर पूरे शहर को खोद डाला आज पूरा शहर खंडहर जैसा उजड़ा हुआ शहर नजर आता है। राजधानी भोपाल के नागरिकों को सरकारी प्रसार माध्यमों ने स्मार्ट-स्मार्ट बोलकर हरे भरे शुद्व वातावरण वाले नगर को बर्बाद कर दिया, चारों तरफ अव्यवस्थित तरीके से कॉंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए है। रहवासियों को न मूलभूत सुविधाऐं मिली और न व्यवस्थित बसाहट,यह बहुमूल्य प्रशासकीय माफियाओं का शहर बन गया है तो वहीं चुनिंदा बिल्डरों के साथ मिलकर सीमेंट कॉक्रीट के गगनचुंभी निमार्ण करा दिये तो अब सरकर द्वारा पेड न्यूज के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है कि भेल के विकास से भोपाल का उदय होगा,आखिर नीयत तो वही है वही राजनेता है वही भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी है, वहीं के नीति निर्धारक है। दिल्ली सरकार में भी वही लोग है भोपाल में भी वही है।\ भारत सरकार ने शहरों के आधुनिकीकरण परिवहन व्यवस्था सुगम बनाने के लिए राज्यों को परियोजना सौपी ,दिल्ली जयपुर,नागपुर लगभग सभी नगरों में परियोजनाऐं पूर्ण होने की कगार पर है तो वहीं भोपाल में नगरीय बस सेवा भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गयी तो वहीं मेट्रो रेल के संंचालन तो दूर की कौड़ी है अभी तो परियोजना के अनुसार अभी पूरे प्लर भी नहीं लग पाये है हालांकि वह अलग बात है कि दो साल पूर्व ही एक दागदार नेता ने खड़े मेट्रो रेल इंजन में बैठकर सरकारी सूचना तंत्र के सहारे उद्घाटन का उद्घोष करा दिया था।
सरकार ने शिक्षा के नाम पर खूब वाह वाही लूटी पूरे प्रदेश में गुणवत्ताविहीन ढांचे खड़े कर दिए निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ उसके लिए जनता से जमकर टैक्स बसूलने के लिए सबकुछ किया लाखों युवाओं के हाथों में डिग्रियां थमा दी परंतु स्कूल कॉलेज की गुणवत्ता और प्रामाणिकता को लेकर हमेशा विवाद रहा है परिणाम स्वरूप आज मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा डिग्रीधारक और बेरोजगारों का गढ़ बन गया है यहां युवाओं के पास डिग्रियां तो है,परंतु न रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और उन्हें स्वयं के व्यवसाय स्थापित करने में सरकारी सहयोग अर्थात मजबूर डिग्रीधारी बेेरोजगार युवाओं की भीड़ बन गई है।
मध्य प्रदेश की सत्ता में कोई भी राजनीतिक दल सत्तासीन रहा हो उनके लोगों ने स्कूल,कॉलेज और अस्पतालों में निजी निवेश कर व्यवसाय शुरू किया ,अधिकारियों ने जनता का खूब शोषण किया परिणामस्वरूप वह राजनेता कहीं न कहीं इस कारोबार में जुड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश में सैकड़ो स्कूल कॉलेज मिल जाएंगे जिनमें पढ़ाई के लिए मूलभूत सुविधाऐं तक नहीं है परंतु सरकार और सरकार द्वारा अनुबंधित मान्यता प्राप्त संस्थानों में फीस वसूली और दूसरे वैध-अवैध बसूली के खेल खूब हो रहे हैं।
भोपाल राजधानी और इसके चारों ओर नशे के कारोबार में विगत 20 सालों में बे-हताशा वृद्वि हुई है जहॉ पहले चुनिंदा प्रकरण सामने आते थे परन्तु अभी छोटे-छोटे प्रकरण तो छोड़िये अब भोपाल ड्रग स्मगलिंग,मानव तस्करी,अवैध नशें का करोबार,सहित उद्योग भी सामने आने लगे है और दुखद विषय यह है कि इसमें नामचीन सत्ताधारी संवैधानिक पदों पर बैठे मंत्री विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों ही संलिप्ताता सामने आई है जिन्हें पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्व करना,उन्हेंपकडऩा तो बहुत दूर की बात है उनका नाम लेने से भी पसीने छूटते है।
यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भोपाल भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रायोगिक शहर बन गया है, यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि प्रशासनिक अपराधियों के चक्रव्यूह में फॅसकर जनसेवक मध्य प्रदेश को अपराधयुक्त,सबसे महंगे नगरों में शामिल कर उद्योग के सहारे भू-माफियाओं के साथ औद्योगिकीकरण के सहारे भारत के केन्द्र में प्रदूषित महानगर निॢमत की भविष्य की कल्पना की जा सकती है।