EDITOR: Pt. S.K. Bhardwaj

30 दिनों की जेल और प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री सहित मंत्री की पद से छुट्टी

30 दिनों की जेल और प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री सहित मंत्री की पद से छुट्टी

  • August 26, 2025

  निर्वाचित प्रतिनिधियों को झूठे मामले में फंसने का खतरा- किशोर समरीते 


भोपाल/ पं.एसके भारद्वाज/ भारत में शासकीय सेवक और लोक सेवकों के लिए 75 वर्षों से अलग-अलग कानून चल रहे हैं। इस भारत देश में 200 वर्षों तक अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाले हजारों लोगों की कैद फॉसी, जेल की यातनाऐं जिस देश में कभी जनता के लिए लड़कर जेल जाना सम्मान का प्रतीक हुआ करता था अब इस देश में 30 दिन की जेल प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,मंत्री,किसी भी विधायक,सांसद सभी लोक सेवकों के लिए पद से हटाये जाने का बड़ा खतरा बन गया है। लोकतांत्रिक भारत में प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए लोकपाल,राज्यों में मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकायुक्त ,भ्रष्टाचार अधिनियम 1980 के अधीन काम करने वाली संस्थाएं,आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ, सीबीआई, ई.डी.जैसी संस्थाओं को केंद्र और राज्य सरकारों ने शक्तिहीन बना दिया है,अब यहॉ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नया कानून लाया जा रहा है ।

Former Madhya Pradesh MLA, Kishore ...

कानून लोक सेवकों को नियंत्रित करने के लिए एक चाबुक की तरह काम करेगा। जहां शासकीय सेवक,अधिकारी,कर्मचारी एक दिन जेल में रहने से निलंबित और सेवा से बर्खास्त तक हो जाते हैं, वहीं लोक सेवकों पर हजारों एफ आई आर के बावजूद पदों पर बने रहते हैं। इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत में झूठी एफ आई आर बड़े पैमाने पर होती है तथा एफआईआर को निरस्त करने हेतु उच्च न्यायालय को धारा  482 में दिए गए अधिकार, समय पर उच्च न्यायालय सुनवाई नहीं करते है, इस प्रक्रिया में लाखों आवेदन उच्च न्यायालयों में आज भी पेंडिंग है तथा किसी भी सजा के खिलाफ रोक के आवेदन भी उच्च न्यायालयों, तथा सर्वोच्च न्यायालय में बड़ी तादाद में लंबित पड़े हैं, जिनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है ।

नए संसद भवन ...

इस मामले में संयुक्त क्रान्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक श्री किशोर समरीते का कहना है कि भारत सरकार को कानून बनाकर सजा पर रोक तथा एफ आई आर के निरस्तीकरण के निपटारे की समय सीमा अधिकतम तीन माह करने का कानून भी बनाना चाहिए अन्यथा भारत में इस नये कानून से लोकतंत्र में लोक सेवकों में अस्थिरता का दौर शुरू हो जाएगा तथा निर्वाचित प्रतिनिधियों को झूठे मामले में फंसने का खतरा भी बना रहेगा।