
मध्य प्रदेश मेेंं ई-गवर्नेंस के नाम 1250APP बनवाने 2500 करोड़ का फर्जी भुगतान
म.प्र. सरकार में चल रहा है APP SCAM
भोपाल। पं.एस.के.भारद्वाज/ मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार और अपराध के मामलों में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है। यदि किसी माह किसी घपले-घोटाले का समाचार जनता को पढने को न मिले ऐसा संभव नहीं रहा है। जिस प्रकार कॉग्रेस शासन काल में बस ट्रेन,अन्य यात्री परिवहन यानों तथा सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी लावारिस वस्तु के मिलने पर बम होने की खबरें सूचनाऐं हुआ करती थी अभी बम या विस्फोटक सामग्री की सूचनाऐं तो नहीं मिलती परन्तु सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार की जानकारी आसानी से सुनी जा सकती है। इसमें सबसे अधिक आश्चर्यजनक यह है कि भ्रष्टाचार उन्हीं जगहो पर ज्यादा है जहॉ जनसामान्य का सीधा सरोकार है अथवा मुख्यमंत्री के अधीन विभाग है।
ऐसा ही एक म.प्र.सरकार का APP SCAM सामने आया है जोकि प्रदेश की आम जनता को उनके मोबाईल पर सीधे जानकारी देने के नाम पर मोबाईल एप/ MOBILE APP बनवाने के नाम पर प्रदेश के वरिष्ठतम अधिकारी (IAS) खेला कर गये। इस गंभीर आर्थिक अपराध की मध्यप्रदेश सरकार के राज्यपाल को लिखित शिकायत भी की गई है। शिकायतकर्ता श्री किशोर समरीते पूर्वविधायक एवं अध्यक्ष संयुक्त क्रान्ति पार्टी ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि बिना विधानसभा में कोई नीति,नियम बनाए मध्य प्रदेश शासन द्वारा ई-गवर्नेंस के नाम पर 1250 से अधिक ऐप बनवा कर लगभग रू 2500/- (ढाई हजार) करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान ऐप बनाने वाली निजी कंपनियों को किये गये है इसकी जॉच सीबीआई से कराने की मांग की गई है।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा ई गवर्नेंस के नाम पर 1250 से अधिक ऐप MOBILE APP बनाकर रू 2500/- ढाई हजार करोड रुपए से अधिक का भुगतान ऐप बनाने वाली कंपनियों को किया गया है यह अत्यंत ही गंभीर मामला है जबकि केन्द्रीय नीति अनुसार राज्य सरकारों को भारत सरकार के विभागीय ऐप का ही अनुसरण करना है कुछ अलग करने के लिए नया ऐप बनाने के लिए राज्य सरकार को विधानसभा एवं कैबिनेट में पॉलिसी बनानी चाहिए थी। जानकारी अनुसार मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया एवं ई-गवर्नेंस पॉलिसी लिंक कर कैबिनेट में अब तक कोई प्रस्ताव भी नहीं दिया गया है तथा ई-गवर्नेंस के नाम पर विधानसभा में बिल भी पारित नहीं हुआ है।
मध्य प्रदेश के भारतीय प्रशासनिक सेवा के नौकरशाहों द्वारा बिना अनुमति एवं विभागीय मंत्री की अनुमति के बिना टेंडर बुलाए 1250 ऐप बनवाकर रू 2500/-ढाई हजार करोड रुपए का भुगतान निजी कंपनियों को कर दिया गया है जोकि गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में है यह प्रदेश के प्रशासनिक अपराधियों का विशेष हुनर है। प्रमाण स्वरूप भारत सरकार की मनरेगा योजना का भारत सरकार द्वारा बनाया गया ऐप है मध्य प्रदेश शासन को इसी ऐप का अनुशरण करना चाहिए था, परंतु इसके विपरीत मध्य प्रदेश शासन की मनरेगा आयुक्त अविप्रसाद (IAS) द्वारा सी-3 के नाम से नया मनरेगा ऐप रू 50 करोड़ रुपए की लागत से बनवाया गया तथा इसमें 15 करोड़ रुपए कमीशन लिया गया है,यही स्थिति मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग का मोबाईलएप MPINFO APP जिसे मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने 25 मार्च 2025 को लॉच किया , इसके अतिरिक्त पंचायत दर्पण ऐप,प्रौढ़ शिक्षा ऐप,कर्मचारी नियंत्रण के लिए ऐप, इसी प्रकार म.प्र. विधान सभा,कृषि विभाग,वन विभाग, राजस्व विभाग, गृह विभाग, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास विभाग सहित सभी विभागों की है।
मध्य प्रदेश शासन के सभी विभागों ने लगभग 1250 ऐप बनवाकर रू 2500/- ढाई हजार करोड़ का ऐप बनाने वाली निजी कंपनियों को भुगतान कर दिया है। बिना निविदा, बिना प्रशासकीय स्वीकृति से तथा बिना कानूनी अनुबंध एवं कार्यादेश के 1250 ऐप बनवाकर रू 2500/-ढाई हजार करोड़ की राशि का भुगतान किया जाना गंभीर अपराध है तथा ई गवर्नेंस एवं डिजिटल इंडिया के नाम पर यह जनता के पैसों का भारी दुरुपयोग है इस मामले की सीबीआई से जांच कराया जाना अतिमहत्वपूर्ण है। इस शिकायत की गंभीरता से जॉच कराया जाना इस लिए और महत्वपूर्ण है क्योंकि इंजीनियर अनुराग जैन प्रदेश के मुख्य सचिव है और सुदाम पंडरीनाथ खाडे एमबीबीएस डॉक्टर जनसंपर्क विभाग आयुक्त है। दोनों ही भ्रष्टाचार के दागी डॉक्टर और इंजीनियर है और दोंनों की पहलवान मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के सबसे नजदीक नौकरशाह है। पहलवान डॉ.मोहन यादव को मामा का उत्तराधिकारी मोदी जी ने बनाया है तो वहीं इंजीनियर अनुराग जैन भारत सरकार में पीएमओ के चहेते है तो डॉ.मामा और मुख्यमंत्री के लिए ब्रॉडिंग करने वाले विभाग के मुखिया,खास सिपहसालारों में गिने जाते है। शेष जिम्मेदारों की श्रंखला इसके बाद तय होती है। भ्रटाचार पर लगाम लगाने वाला मोदी जी का नया कानून सुर्खियों में है और दॉव पर जनता का भरोसा और सरकारी खजाना है।