
15 लाख के जवाब में वोट चोरी
अफवाह का जवाब अफवाह

भोपाल/ पं.एस.के.भारद्वाज/ भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण आम जनता को भ्रमित कर अपने वश में करने के तरह-तरह के चुनाव में वादे और अफवाह फैलाई जाती है। देश में 2014 में सत्ता में आने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने विदेशों से काला धन लाकर हर मतदाता को 15-15 लाख रुपए देने का वादा किया था ,जनता ने लालच में भ्रमित होकर भारतीय जनता पार्टी के लिए खुलकर वोट किया परन्तु आज तक किसी को भी 15 लाख नहीं मिले और यह चुनावी जुमला भी साबित हो गया इसी तरह बिहार में सत्ता से दूर बैठी कांग्रेस ने मतदाता सूची में पुनरीक्षण में वोट चोरी का नारा देकर चुनाव आयोग और भारत सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस का वोट चोरी का नारा मात्र जनता को भ्रमित कर सत्ता में आने का एकमात्र ऐजेन्डा है । ईवीएम में गड़बड़ी और देश में वोट चोरी की बातें करने वाली कांग्रेस ने ही इस देश में मतपत्र और मत पेटियों के स्थान पर ईवीएम लेकर आई थी जिसकी जिम्मेदार स्वयं कांग्रेस ही है एवं अब इसी ईबीएम को कांग्रेस भस्मासुर साबित करने में लगी है । ईवीएम के बाद कांग्रेस में बड़ा निशाना मतदाता सूची है जो चुनाव प्रक्रिया की रीड़ की हड्डी है उसे टारगेट पर ले लिया है जिससे देश के लोगों में एक भ्रम पैदा हो गया है। कांग्रेस को ग्रामीण परिवेश और शहरी परिवेश के जीवन का पता नहीं है,देश में संयुक्त परिवार भी होते हैं जो ग्रामीण परिवेश का हिस्सा होते हैं। महानगरों में बड़े भवन में एक ही पते पर कई-कई परिवार रहते हैं। मुंबई में अरुण गवली की दगड़ी की चाल इसका जीता जागता साक्षात प्रमाण है। चुनाव आयोग और कांग्रेस के बीच एस आई आर को लेकर चल रहा युद्ध मात्र सत्ता में आने का बड़ा एजेंडा है। जिस प्रकार भाजपा की 2014 के परिणाम विदेश से लाकर काला धन में से 15-15 लाख रुपए मतदाताओं में बांटने थे जो कभी नहीं बॉटे ,इसी प्रकार इस पूरे वोट चोरी के नारे की हकीकत भी जीरो है कुछ चाटुकारों के लिए कांग्रेस में अपनी हवा बनाने के लिए बहाना हो सकता है परंतु परिणाम कुछ भी आने वाला नहीं है अर्थात अफवाह का जवाब सिर्फ अफवाह है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और न ही समाज के प्रति राजनीतिक जवाबदेही ।
अफवाह का जवाब अफवाह, 15 लाख के जवाब में वोट चोरी
इस पूरे मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त भारत सरकार इस वोट चोरी की अफवाह में उलझ कर परेशान हो चुके हैं बिहार का चुनाव इस अफवाह को सही या गलत साबित करने का एक माध्यम है इस पूरे मामले में बिहार के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट को अपनी मॉनिटरिंग में करना चाहिए।