
म.प्र्. में कलेक्टरों पर करोड़ों की रिश्वत के आरोप
म.प्र्.में 36 सालों में 5 लाख आदिवासी किसान हो गये भूमिहीन
भोपाल/ पं.एस.के.भारद्वाज/ मध्यप्रदेश में पिछले 36 वर्षो में अर्थात 1989 से 2025 तक मध्यप्रदेश में कलेक्टरों द्वारा अनदेखी कर लगभग पांच लाख आदिवासी किसानों को भूमिहीन कर कर दिया है,आरोप है कि कलेक्टरो ने आदिवासियों की भूमि गैर-आदिवासियों को हस्तान्तरण की अनुमति देने के बदले प्रति एकड़ एक लाख से लेकर पांच लाख रूपये रिश्वत लिये गये है। इस संबंध में भारत सरकार को शिकायत की गई है।
जबकि भारत सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 46 के अनुसार आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को बिकी करने पर कलेक्टरों की अनुमति आवश्यक है। मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 में आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासी को बिना कलेक्टर की अनुमति के बिकी किया जाना प्रतिबंधित है। यदि कृषि भूमि न्यूनतम पांच एकड़ से कम हो तो आदिवासी किसान को भूमिहीन होने से बचाना कलेक्टर का संवैधानिक एवं पदीय दायित्व है। इसके विपरीत मध्यप्रदेश में पांच एकड़ से कम भूमि के आदिवासी किसानों की भूमि गैर आदिवासियों को बिक्री करने की अनुमति दे दी गई। वर्ष 1989 से 2025 तक अनुमानित 36 वर्षों में मध्यप्रदेश के कलेक्टरों द्वारा पांच लाख आदिवासियों को भूमिहीन बना दिया गया है।
आरोप है कि वर्तमान समय में मध्यप्रदेश में बालाघाट जिले के तत्कालीन कलेक्टर जी.पी. मिश्रा (आई.ए.एस.) द्वारा एक लाख से पांच लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से सहायक यंत्री सर्व शिक्षा अभियान शिव भास्कर के माध्यम से रिश्वत लेकर लगभग एक हजार एकड़ की आदिवासियों की भूमि बिकी की अनुमति दी है। छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा 2 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से 2 हजार एकड़ आदिवासियों की भूमि के हस्तांतरण की अनुमति दी है। ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर रहे पी. नरहरि पर तो गंभीर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत में सोने के बिस्किट लेकर आदिवासियों की 2 हजार एकड़ कृषि भूमि को गैर आदिवासियों को बिक्री करने की अनुमति जारी की थी। मध्यप्रदेश में लगभग 55 जिलों की यही स्थिति बताई जा रही है। मध्यप्रदेश में कलेक्टरों की लापरावही कहें या लालच अथवा राजनीतिक दबाव परन्तु कारनामा तो हुआ और पांच लाख आदिवासी इन कलेक्टरों की नियम विरूद्ध अनुमति से भूमिहीन हो गये।
शिकायत कर्ता श्री किशोर समरीते राष्ट्रीय अध्यक्ष संयुक्त कांति पार्टी एवं पूर्व विधायक लांजी ,बालाघाट (म.प्र.)इस मामले में आदिवासियों को भूमिहीन होने से बचाने केबिनेट सचिव कार्यालय के माध्यम में मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को सी.बी.आई. से जांच करवाने अनुशंसा करने या राज्य स्तर पर पुलिस महानिदेशक, लोकायुक्त को मामले की जांच करवाने निर्देश जारी करने की मांग की है। साथ ही सभी 1989 से 2025 तक जो भी आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को हस्तांतरित की गई उनकी रजिस्ट्री निरस्त करने तथा आदिवासियों को भूमि लौटाने का राज्य शासन को प्रयास करने दिशा निर्देश जारी करने की मांग की है। चूँकि शिकायत कर्ता का मत है कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 46 का उल्लंघन जानबूझर किया गया है,इसलिए सम्पूर्ण मामले की सी.बी.आई. से जांच अति आवश्यक है।