
स्वराज की रेस
स्वराज की रेस
यह सियासत जहां पहले वायदे जनता से,फिर खुद से, फिर कुर्सी के लिए की जाते हैं मगर समझने वाली बात है यह है कि हर पार्टी और सरकार लड़ाई लड़ किस के लिए रहे हैं और अगर लड़ाई लड़ रहे हैं तो किससे लड़ रहे हैं भाई समझ में यह नहीं आता लड़ाई लड़ क्यों रहे हैं?
जनता की भलाई के लिए, भारत देश की विकास के लिए, अरे जितना पैसा यह लोग आपस में लडऩे में कोई यात्रा में खर्चा करते हैं तो क्या आपको लगता नहीं कि उसके आधे में भी हो सकता है ? वैसे तो होता तो आधे में ही है केवल बिल बड़े-बड़े बनते हैं !
फिलहाल तो लगता है कि अभी जो राजनीतिक पार्टियां लड़ाई लड़ रही हैं वह तो केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं ऐसा लगता है जैसे कैसे भी हो जान बाकी है रहना चाहिए।
यह नहीं कि सब अपना-अपना ध्यान व ऊर्जा को अपनी विपक्षी पार्टी को नीचा दिखाने वाह उन पर उंगली उठाने में लगाते हैं अगर वही उर्जा को विकास की राह और नए विचारों को एकत्र सच करने में लगाएं तो सोचिए क्या हो सकता है ?
अब आप सभी ने खबरों में पड़ा और सुना होगा कि राहुल गांधी विदेशों में जाकर अपने देश का गलत प्रचार प्रसार कर रहे हैं अभी हाल ही में राहुल गांधी अमेरिका गए कितनी अजीब बात है वहां जाकर कह रहे हैं कि केवल विपक्षी एकजुटता से ही भाजपा को हराना संभव है ,
अरे भाई एक व्यक्ति जो देश का आइकन है जिसने भारत को विदेशों में एक नई चमक व पहचान दिलाई है जिस को बुलाकर सम्मान किया जा रहा है और राहुल गांधी वहीं विदेशों में अपने जाकर क्योंकि आप तो अब लोकसेवक रहे नहीं और यह कहने की जगह की सब विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर भाजपा पार्टी से ज्यादा अच्छा भारत का विकास कर सकते हैं आप वहां जाकर बीजेपी को हटाने की बात करते हैं !
कहानी तो ऐसी है शायद आप लोगों ने सुनी होगी कि -जब दो लोगों में रेस होती है तो एक केवल अपने लक्ष्य का सोच कर दोड़ता है कि कैसे जीतू और वही दूसरा सोचता है इस पहले वाले को कैसे जीतने से रोका जाए और इस कारण उसका सारा ध्यान जीत व रेस पर ना होकर अन्य को दोड् में बाधा कैसे कैसे डाली जाए उस पर फोकस करता है और इस समय जो राजनीति के हालात हैं भारत में व भारत के राज्यों में बीजेपी कांग्रेस और अन्य को देखे जाएं तो ऐसी ही रेस चल रही है एक पार्टी है कि अपने स्वराज को अपने विचारों में लेकर रेस में भागीदार हो रही है और भागीदार हैं और अन्य का हाल दूसरे प्रकार के दौड़ में हिस्सा लेने वाले जैसा है जबकि लगता है की सब अपना -अपना काम अपनी- अपनी क्षमता से और बुद्धि के बदौलत कर रहे हैं !
पता नहीं किसी के दिमाग में भारत का विकास भारत की तरक्की आर्थिक विकास आता है कि नहीं ?
पर एक ऐसा संघ है या कहें पार्टी या कुछ और जिसके हिसाब से सारी दुनिया पर सिर्फ उसी की हुकूमत होनी चाहिए या वह करना चाहते हैं हर देश में उनके राजदूत, जासूस ,सदस्य चुपचाप भेष बदलकर रहते हैं और किसी को भी पता नहीं चलता , जबकि जहां उनकी बहुतायत है वहां के भी हाल जगजाहिर है पाकिस्तान,अफगानिस्तान, बांग्लादेश ,सीरिया आदि आदि... अब आप समझ गए होंगे कि हम किस पार्टी की बात कर रहे हैं बिल्कुल सही आतंकवाद
-इनकी राजनीति अलग ही रहती है कमजोरी का फायदा उठाओ, उनका नाम बदनाम करो और शांति से,सुकून से, खुशी से कोई लेना-देना नहीं ?
राजनीति क्या है इसके बारे में बात करेंगे तो सब खत्म हो जाएगा ..
by -फरहा खान सिरोंजी