
बैंकों के विलय से बैंक को होगा भारी नुकसान
नई दिल्ली। एंकर लेंडर्स यानी पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक का परफॉर्मेंस उनमें मिलाए जाने वाले बैंकों से बेहतर रह सकता है। सार्वेजानिक क्षेत्रों के बैंकों में पिछले दौर के कंसॉलिडेशन में जब विजया और देना बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में मिलाया गया था तब मर्जर में स्वैप रेशियो सबसे मजबूत बैंक के हक में गया था। चारों बैंकों के प्रस्तावित विलय से होने वाले वैल्यू क्रिएशन की जहां तक बात है तो विश्लेषकों के हिसाब से सबसे ज्यादा वैल्यू क्रिएशन केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक के कंसॉलिडेशन से होगा। सबसे ज्यादा नुकसान इंडियन बैंक को होगा क्योंकि उसमें मिल रहे इलाहाबाद बैंक का नेट नॉन परफॉर्मिंग असेट उसकी नेटवर्थ से ज्यादा है। 10 सरकारी बैंकों के मर्जर के लिए शेयर स्वैप रेशियो फिलहाल तय नहीं हुआ है और इन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। तीनों बैंकों का मर्जर सबसे कम फायदेमंद होगा और जो होगा उसे हासिल होने बहुत वक्त लगेगा। इन बैंकों में जियोग्राफिकल और कल्चरल लेवल पर बड़ा फर्क है, जिससे इनका इंटीग्रेशन काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा मर्जर से बनने वाले बैंक का जीएनवीएल रेशियो चारों में सबसे ज्यादा 15.5 प्रतिशत जबकि 8.6 प्रतिशत का सीईटी -1 (कॉमन इक्विटी टायर) होगा। सरकार मर्जर से बनने वाले बैंक में 11,700 करोड़ का निवेश करेगी। इस मामले में सरकार अपने सबसे बैंक को सबसे खराब बैंक में मिलाने जा रहा है। इंडियन बैंक का जीएनवीएल 7.1 प्रतिशत है जो सभी 12 बैंकों में सबसे कम है जबकि इलाहाबाद बैंक का जीएनपीएल सबसे ज्यादा 18 प्रतिशत है। इलाहाबाद बैंक का नेट एनपीए उसकी नेटवर्थ का 104 प्रतिशत है जबकि इंडियन बैंक के मामले में यह 36 प्रतिशत है। सरकार इसमें सबसे कम 2,500 करोड़ का पूंजी निवेश करने जा रही है। इस मर्जर में कोई बड़ा कॉस्ट बेनेफिट भी नहीं है क्योंकि इंडियन बैंक का कारोबार दक्षिण भारत में फैला है जबकि इलाहाबाद बैंक का खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पूर्वी भारत में दबदबा है। दोनों के कल्चर में बड़ा फर्क होना भी मर्जर में बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।