
ट्रेडिशनल लुक के लिए कुंदन और पोल्की जूलरी है पहली पसंद
नई दिल्ली। रीगल, एलीट और ट्रेडिशनल लुक के लिए कुंदन और पोल्की जूलरी चुनी जा रही है। इनमें से कौन-सी लें अक्सर लोग ये तय नहीं कर पाते हैं कि दोनों लगभग एक जैसी दिखती हैं। जबकि असल में ये एक दूसरे से बहुत अलग होती हैं। जूलरी कंपेरिजन रैना कपूर बता रही हैं कुंदन और पोल्की में कौनसी जूलरी बेहतर है। कुंदन और पोल्की बनाने का तरीका बेहद जटिल है और समय भी लेता है। इन्हें बनाने में बहुत मेहनत और खास कौशल की आवश्यकता होती है। दोनों ही हजारों साल पुरानी कला है। 'कुंदन' मुगलों के दौर में प्रचलित था वहीं 'पोल्की' मशहूर राजस्थानी स्टाइल दर्शाती है। दोनों ही मिलेनियल ब्राइड्स की पहली पसंद हैं। पोल्की को बनाने के लिए अनकट डायमंड्स का उपयोग किया जाता है जबकि कुंदन को बनाने के लिए ग्लास स्टोन्स लगते हैं। इसलिए पोल्की की चमक भी कुंदन से कहीं ज्यादा होती है और ये ज्यादा महंगी भी होती है। पोल्की दरअसल सबसे शुद्ध अवतार में अनकट डायमंड्स ही होते हैं। गोल्ड जूलरी में अनकट डायमंड्स लगाकर इसे बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में गोल्ड फॉइल और लाक का इस्तेमाल भी किया जाता है। रंग इसका साफ नहीं होता इसलिए ये थोड़ा रस्टिक लुक देती है। शुद्ध सोने के फॉइल पर रखे हीरे रोशनी पड़ने पर अपनी चमक बिखेरते हैं। इसके बाद इन्हें गोल्ड जूलरी में मोती और अन्य कीमती पत्थरों के साथ सेट कर दिया जाता है। क्योंकि ये डायमंड्स का सबसे शुद्ध रूप होते हैं, तो बेहद महंगे भी होते हैं। पोल्की के साथ कुंदन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पोल्की दरअसल सबसे शुद्ध अवतार में अनकट डायमंड्स ही होते हैं। गोल्ड जूलरी में अनकट डायमंड्स लगाकर इसे बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में गोल्ड फॉइल और लाक का इस्तेमाल भी किया जाता है। रंग इसका साफ नहीं होता इसलिए ये थोड़ा रस्टिक लुक देती है। शुद्ध सोने के फॉइल पर रखे हीरे रोशनी पड़ने पर अपनी चमक बिखेरते हैं। इसके बाद इन्हें गोल्ड जूलरी में मोती और अन्य कीमती पत्थरों के साथ सेट कर दिया जाता है। क्योंकि ये डायमंड्स का सबसे शुद्ध रूप होते हैं, तो बेहद महंगे भी होते हैं। पोल्की के साथ कुंदन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। बेस बनाने के लिए गोल्ड को स्ट्रिप्स में काटकर मनपसदं आकार दे दिया जाता है। ग्लास स्टोन्स- एमरल्ड, रूबी, सफायर वगैरह को बेस पर सटे किया जाता है और कुंदन तैयार होता है। इसमें सोने की मात्रा बहुत अधिक नहीं होती है। गोल्ड की जगह अन्य मेटल भी लिया जा सकता है। प्रक्रिया शुरू होती है स्केलेटल फ्मवरे र्क के साथ जिसे 'घाट' कहते ह। 'चिलाइ' प्रक्रिया के साथ पत्थरों को पॉलिश किया जाता है। यह एक दसी कला है जो केवल भारत में प्रचलित है। ब्राइड्स चाहें तो कुंदन या पोल्की के हेवी चोकर या भारी नेक पीस बनवा सकती हैं। ज्यादा हेवी या पारंपरिक जूलरी नहीं चाहते हैं, तो बड़े शैंडलियर शेप्ड कुंदन इयरिंग्स बनवा सकते हैं। पोल्की और कुंदन के ब्रेसलेट या चादंबाली सबसे ज्यादा पसदं किए जाते है।