
श्री संजीव सिंह आरटीए ने प्रशासनिक हेरा फेरी छिपाने की नीयत से जारी कराया अवैध सूचना पत्र
श्री संजीव सिंह आरटीए ने प्रशासनिक हेरा फेरी छिपाने की नीयत से जारी कराया
अवैध सूचना पत्र
क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार भोपाल न्यायालय ने 21 और 22 मई 2०25 को 429 मोटरयानों के स्थायी परमिट जारी करने के लिए सुनवाई रखी थी, जिसमें विधिक प्रक्रिया का कोई भी पालन न करते हुए एक मीटिंग हॉल में पारिवारिक आयोजन या सामाजिक बैठक की तरह पक्षकारों को बुलाकर हां और ना में हाजिरी भरकर 21 तारीख को 2 घंटे 2० मिनट में 2०० प्रकरण की सुनवाई एवं 22 तारीख में 229 प्रकरणों की सुनवाई मात्र 1 घंटे ०6 मिनट में ही संपन्न करके इतिश्री कर दी। परिवहन प्राधिकरण की प्रक्रिया न्यायिक सिद्धांन्त से चलने वाली विधिक प्रक्रिया है, जिसमें आवेदित एक-एक पत्र एवं संलग्र दस्तावेजों का सत्यापन पर निर्णय करना तथा अनावेदक आपत्ति कर्ता पक्षकार को सुनना, दोनों पक्षों के तर्को को समझना उपस्थित दोनों पक्षकारों की उपस्थिति नोटशीट पर इन्द्राज कराना तथा उनके कथन नोट करते हुए प्राधिकार अपने निर्णय से परिवहन प्राधिकरण के सचिव को लिखित में परमिट जारी करने अथवा आवेदन निरस्त करने के आदेश जारी करना यह मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के विधान में प्राधिकार की जवाबदेही सुनिश्ििचत है। परंतु विडंबना है कि इसके विपरीत प्राधिकारी श्री संजीव सिंह ने कोई भी प्रक्रिया का पालन आरटीए की हैसियत से नहीं किया । इस अनियमितता और कदाचरण के संबंध में दैनिक स्वराज्य अभियान के 23 मई 2०25 के अंक में प्रकाशित समाचार सुर्खियों में बना तो आनन फानन में विधि विरुद्ध किए गए कार्यों को छिपाने की नीयत से 22 तारीख में हस्ताक्षर युक्त 23 तारीख को एक सूचना पत्र कार्यालय सचिव क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार भोपाल के क्रमांक/ 6121/ परमिट/ 2०25 भोपाल दिनांक 22/5/ 2०25 जारी किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि -
समस्त बस संचालकों को सूचित किया जाता है कि स्थाई परमिट आवेदन पत्रों की सुनवाई दिनांक 21/ 5/2०25 एवं 22/5/2०25 को पक्षकारों द्वारा प्रकरण में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु अवसर दिए जाने का अनुरोध किया गया पक्षकारों के अनुरोध को मान्य करते हुए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार भोपाल संभाग भोपाल के निर्देशानुसार उक्त प्रकरणों में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने हेतु दिनांक 3०मार्च 2०25 तक का अवसर प्रदान किया जाता है यदि कोई पक्षकार प्रकरण से दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहते हैं तो दिनांक 3०/5/2०25 तक सचिव क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय भोपाल में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें। इस सूचना पत्र में हस्ताक्षर सचिव क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार भोपाल के संबोधित हैं जोकि सहा.परिवहन अधिकारी श्री प्रमोद कापसे के बताये जा रहे है।
अर्थात हस्ताक्षर भी परिवहन प्राधिकरण सचिव श्री जितेन्द्र शर्मा के नहीं है यह विधि विरुद्ध है और अध्यक्ष द्वारा जानबूझकर हस्ताक्षर अनाधिकृत अधिकारी से कराए गए हैं । अब यक्ष प्रश्न यह है कि जब 21 और 22 तारीख को परिवहन परमिटों का अंतिम तर्क के लिए सुनवाई का अवसर 429 बस मालिकों को सूचीबद्ध करके बुलाया गया था तो क्या अंतिम तर्क के बाद भी कोई अधिकारी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए 8 दिन का अतिरिक्त अवसर दे सकता है? जबकि एक तथ्य यह भी है कि उपस्थित किसी भी मोटर मालिक ने मीटिंग हॉल में दस्तावेत प्रस्तुत करने अथवा अतिरिक्त समय मॉगने के लिए न बोला न किसी ने लिखित आवेदन दिया यह पूरा घटनाक्रम का विवरण मीटिंग हॉल के डिजिटल रिकार्ड मे ंदेखा जा सकता है। क्या न्यायिक प्रक्रिया का कहीं और ऐसा उदाहरण देखने को मिलता है ? क्या किसी प्राधिकरण में ऐसा नियम है कि वहां विधिक प्रक्रिया का अपने मन माफिक तरीके से संचालन करें इससे जनता में स्पष्ट संदेश जाता है कि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री संजीव सिंह की नीयत में खोट है और यह जानबूझकर कुछ खास लोगों को निजी लाभ पहुॅचाने की नीयत से प्रशासनिक करवाही दोषपूर्ण की गई है ताकि अवैध/अनाधिकृत तरीके से कुछ लोगों को परिवहन यान परमिट जारी किए जा सके तथा उसके बदले निजी लाभ लिया जा सके। यदि इस अवैध कृत्य से प्रशासन की छवि ध्वस्त होती हो अथवा सड़क दुर्घटना और जनहानि होती हो तो उनकी इसमें कोई निजी हानि नहीं होगी। जिस प्रकार सचिव पदनाम से जो हस्ताक्षर एक अनाधिकृत अधिकारी से कराए गए हैं उनको भी यह सोचना चाहिए कि वह हस्ताक्षर किस हैसियत से कर रहे हैं क्या वह प्राधिकरण के सचिव है अथवा 22 मई को प्राधिकरण के सचिव कार्यस्थल उपस्थित नहीं होकर अवकाश पर थे? मध्यप्रदेश का पूरा परिवहन विभाग जानता है कि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारी के सचिव श्री जितेंद्र शर्मा है और अध्यक्ष श्री संजीव सिंह आईएएस है तो फिर हस्ताक्षर कर्ता की कहावत चरितार्थ होती है कि
बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाना ,
शादी किसी की भी हो हमें तो दूल्हा बनकर ही जाना ।।
प्रशासन तंत्र बचे या रहे लाभ हो हमारा और तुम्हारा अर्थात भ्रष्टाचार की कथा डंके की चोट पर चल रही है । यदि क्षमता मुख्य सचिव में हो तो रोक कर बताएं यहां चिंता मुख्यमंत्री की छवि की भी नहीं है , न मान सम्मान और न प्रतिष्ठा मोहन सरकार की है जनता की जान की परवाह से ज्यादा निजी शुभ लाभ ही है।