
'नए आपराधिक कानूनों से न्याय प्रशासन में केवल भ्रम पैदा हुआ: पी. चिदंबरम
नई दिल्ली / कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को इंगित किया है। उन्होंने इन कानूनों को लागू करने को 'कट एंड पेस्ट' एक्सरसाइज बताया। चिदंबरम ने कहा कि तीन नये आपराधिक कानूनों को लागू करना व्यर्थ का काम है। इनसे न्यायाधीशों, वकीलों और पुलिस के बीच न्याय प्रशासन में केवल भ्रम की स्थिति पैदा हुई है।
पी चिदंबरम ने यह अमित शाह के नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के एक साल पूरे होने पर भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि नए कानून में 90 दिन में जांच, चार्जशीट और फैसले की समयसीमा तय की गई है, जिससे लोगों में ‘एफआईआर से तुरंत न्याय’ मिलेगा, ऐसा विश्वास बढ़ेगा।
सरकार को इंगित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने बार-बार दावा किया है कि तीन आपराधिक कानून विधेयक, जो अब अधिनियम बन चुके हैं, आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार हैं, लेकिन यह सच से बहुत दूर है। उन्होंने कहा कि उन्होंने तीनों विधेयकों की जांच करने वाली संसदीय स्थायी समिति को अपना असहमति नोट भेजा था। इतना ही नहीं यह संसद में पेश की गई रिपोर्ट में भी शामिल है। उन्होंने अपने असहमति नोट में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धाराओं की तुलना संबंधित नए विधेयक से करने के बाद, उन्होंने कहा था कि यह केवल कट-पेस्ट एक्सरसाइज है। नए विधेयक में आईपीसी का 90-95%, सीआरपीसी का 95% और साक्ष्य अधिनियम का 99% हिस्सा काट-छांट कर शामिल किया गया है।
गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए अलग अध्याय बनाया गया है और आतंकवाद व संगठित अपराध पर सख्त सजा का प्रावधान है। नए कानून का 14.80 लाख पुलिसकर्मियों, 42 हजार जेल कर्मियों और 19 हजार जजों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि 160 बैठकों और 89 देशों की न्याय प्रणालियों के अध्ययन के बाद इन कानूनों को तैयार किया गया। उन्होंने जोर दिया था कि जनता को अपने अधिकारों की जानकारी जरूरी है, ताकि ये कानून आजादी का सबसे बड़ा सुधार बने।
गौरतलब है कि बीते साल एक जुलाई को तीनों नए आपराधिक कानून लागू हुए थे। बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली थी।